ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लडी जा रही लड़ाई में अनेक समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं ऐसे थे, जिन्हें प्रकाशित करने में पत्रकारों को अपनी घर की संपत्ति भी बेचनी पड़ी थी। पत्रकारिता करने वाले मनीषियों को आर्थिक तंगी का चरम झेलना पड़ता था लेकिन उन्हें इसका कोई ग़म नहीं होता था वरन वे बड़े शौक और पूर्ण समर्पण से इस कार्य को करते थे। उस कड़ी में वैसे तो अब टूटन शुरू हो गई है फिर भी कुछ कड़ियां शेष हैं।
इसी कड़ी का एक उदाहरण आज भी है। हाईवे नंबर अट्ठाइस, जो प्रभु श्रीराम जी की नगरी अयोध्या के हल्कारा का पुरवा नामक गांव से होकर गुजरता है, यहां पर प्रायः कोई न कोई दुर्घटना होती रहती है। घायलों के इलाज आदि के लिए प्रशासनिक मशीनरी जब तक पहुंचती है उसके पहले इसी गांव के निवासी एक पत्रकार महोदय वहां हाजिर रहते हैं, वे वहां पर कोई मीडिया कवरेज नहीं कर रहे होते अपितु सभी घायलों की सेवा सुश्रुषा आदि में लगे मिलते हैं, बिना किसी ख्वाहिश तथा बिना किसी परवाह के। कहीं कोई दैवीय आपदा घट गई हो, किसी के साथ कोई दुर्घटना हो गई हो अथवा किसी पर किसी तरह की मुसीबत आ गई हो तो पत्रकारिता करने वाले यह शख्स अपनी सामर्थ्य अनुसार उसकी मदद में अवश्य उपस्थित मिल जाते हैं।
प्राचीन काल में कौशल जनपद के नाम से विख्यात आज के अवध क्षेत्र में सदैव एक से बढ़कर एक प्रतिभाओं का जन्म होता रहा है, जिनमें से अनेकों ने काफी नाम रोशन किया है, परंतु दुर्भाग्यवश आज भी कुछ ऐसी प्रतिभाएं हैं जिनके कार्यों को उचित तवज्जो नहीं मिल पाती है तथा उनकी साधना एवं तपस्या को वह सम्मान नहीं दिया जाता है जिनके वह हकदार होते हैं। परंतु यह मनीषी प्रतिवर्ष एक भव्य कार्यक्रम आयोजित करके समाज के विभिन्न क्षेत्रों की इस तरह की प्रतिभाओं को सम्मानित करते रहते हैं। एक पत्रकार के तौर पर समाज के उन बिंदुओं पर भी इन तपस्वी की नजर पड़ जाती है जहां आज के दौर में सामान्यतः पत्रकारिता की परिधि ही समाप्त मान ली गई है। इन महान व्यक्तित्व ने निजता की सीमा रेखा का संकुचन इस स्तर तक नहीं होने दिया कि मानवता ही दम तोड़ दे। आपके द्वारा अवध कमेंट वीक (Awadh Comment Week) नाम से एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन किया जाता है, जिसके आप संस्थापक-संपादक रहे हैं एवं वर्तमान में प्रबंधक हैं।
समाचार पत्र के प्रकाशन का नाम लेते ही स्वाभाविक तौर पर यह माना जाता है कि आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति ही समाचार पत्र निकालते हैं एवं तभी तो ऊपर वर्णित विविध प्रकार के जनहित कार्य संभव हो पा रहे हैं, परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है। भगवान श्री राम जी की नगरी अयोध्या के रहने वाले पंडित शिवकुमार मिश्र जी (Mr. Shiv Kumar Mishra) लगभग विगत चार दशकों से अवध कमेंट वीक नामक समाचार पत्र निकाल रहे हैं। आपके पिताजी सरकारी सेवा में थे तथा पारिवारिक हैसियत भी अच्छी थी फलतः जब पंडित शिवकुमार मिश्र जी ने समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया तो शुरुआती दौर में पिताजी भी काफी मदद करते रहे। समाचार पत्र का प्रकाशन चलता रहा एवं अच्छा खासा पाठक वर्ग भी बन गया यानी कि पत्र की पहुंच भी एक बड़े वर्ग तक हो गई, लेकिन आश्चर्यजनक बात तो यह है कि पत्र की आमदनी इतनी भी नहीं हुई कि पत्र के प्रकाशन का खर्च तक निकल सके। आपके द्वारा प्रत्येक घर में समाचार पत्र को तो भेजा जाता है लेकिन पैसा मांगने में आप बेहद संकोच करते हैं जिसके चलते अधिकांश लोग समाचार पत्र का पैसा भी नहीं देते, जबकि समाचार पत्र की कीमत मात्र ₹ 2 ही है। इस प्रकार समाचार पत्र का प्रकाशन साल दर साल चलता रहा, पाठक वर्ग की बड़ी संख्या बरकरार रही, प्रकाशन का खर्च भी बढ़ता गया परंतु आमदनी न बढ़ने के कारण पंडित जी की व्यक्तिगत समस्याएं दिनों दिन बढ़ती चली गई। एक तरफ बड़े-बड़े घरानों के अखबारों की टक्कर तो दूसरी तरफ आपकी पूंजी विहीन सच्ची पत्रकारिता, अब आपके सामने एक ही विकल्प था कि समाचार पत्र को बंद कर दिया जाए। इसी दौरान पूज्य पिताजी का भी देहावसान हो गया फिर भी आपने एक-एक कर घर की संपत्तियों को बेचकर समाचार पत्र का प्रकाशन जारी रखा। समाचार पत्र के प्रकाशन का पूरा खर्च, वितरण आदि में लगने वाले समस्त खर्चों की व्यवस्था घर की संपत्तियों को बेचकर होने लगी। समाचार पत्र के प्रकाशनार्थ प्रिंटिंग प्रेस लगवाने की आवश्यकता की पूर्ति हेतु जमीन भी बेच दी गई। इस तरह यह प्रक्रिया जारी रही तथा पुरखों से मिली पुश्तैनी जमीन धीरे-धीरे समाप्ति की स्थिति में आ गई। अनेक क्षेत्रों की विशिष्ट शख्सियतों को प्रतिवर्ष सम्मानित करने का आयोजन आप किसी आमदनी के बूते नहीं करते हैं अपितु घर की आवश्यकताओं को समेटते हुए करते हैं। मानवीय संवेदना एवं नैतिकता के इतने धनी हैं कि लोग पुत्रियों की शादी में कर्जदार हो जाते हैं जबकि आपने दोनों पुत्रों की शादी में कर्ज लिया बजाय कन्या पक्ष का खर्च कराने के। आपकी कलम की धार इतनी प्रबल है कि हर मुद्दे पर बेबाक चलती है तथा कभी झुकती नहीं। आपकी एक खासियत यह भी है कि सरकारी तंत्र से आप कभी एक पैसे की मदद नहीं लेते हैं। हां इस तपस्वी की जीवन नैया चलती रहे इसके लिए अयोध्या के अनेक पूज्य संत जनों द्वारा सहयोग किया जाता रहता है जिनमें प्रमुख हैं परम पूज्य बिंदु गद्ध्याचार्य महाराज जी, पूज्य राजकुमार दास जी, पवित्र पावन पीठ हनुमानगढ़ी के महाराज जी, परम पूज्य श्रीधराचार्य महाराज जी सहित कुछ अन्य महात्म्य जनों द्वारा तथा समाज के कुछ नेक इंसानों जैसे आदरणीया डॉ रानी अवस्थी जी, डॉ एकता त्रिपाठी जी, श्री ऋषिकेश उपाध्याय जी सहित अन्य अनेक शख्सियतों द्वारा आपको सानिध्य एवं सहयोग मिलता रहता है। आपकी साधना एवं संघर्ष को बेहद सम्मानित नजरों से देखा जाता है तथा समाज के प्रत्येक वर्ग में एक आदर्श पत्रकार के रूप में आपकी पहचान है। अयोध्या के मूर्धन्य विद्वान, पत्रकारगण जैसे श्री इंदु भूषण पांडे जी, श्री रमाशरण अवस्थी जी, प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के सम्मानित सदस्य श्री शीतला सिंह जी सहित अन्य अनेक मनीषियों द्वारा आपकी भूरि- भूरि प्रशंसा की जाती है।
आज पंडित शिवकुमार मिश्र जी को पत्रकारिता जगत का प्रेरणा पुंज माना जाता है। आज के समाज में तपस्वी तथा साधक पिता की ही तरह उसकी भावी संतति भी निकले यह दुर्लभ होता है लेकिन आपके यशस्वी सुपुत्र श्री नितिन मिश्र जी (Mr. Nitin Mishra) भी, पिताजी के नक्शे कदम पर चलते हुए आपकी साधना में कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं तथा योग्य पिता के योग्य पुत्र के रूप में प्रसिद्ध हो रहे हैं।